Wednesday, May 6, 2020

शहीद

कर रहा था वो, ट्रैन में सफर
जा रहा था, कितने समय बाद घर
तिरंगे में, लिपटा हुआ था
बेजान था शरीर, पर वही थे तेवर

चारों तरफ चिंगारियां थी
चारों तरफ ही थी चीखें
देश के दुश्मन जरा समझें
कुछ तो अपने हश्र से सीखें

हर बच्चा माँ के चरणों में
अपनी जान लुटायेगा
धरती माँ के आंचल पर
कभी दाग ना लग पायेगा

देकर अपनी जान वो
माँ का ऋण चुकाएगा
अपने गिरते लहू से वो
विजय तिलक लगाएगा

रवि गोयल की कलम से

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