एक अलमारी ही तो हूँ मैं
कभी सजाती थी साजो सामान
कभी बढ़ाती थी घर का मान
आती थी हर सदस्य को काम
अब हो गयी धूल मिट्टी मेरे नाम
एक अलमारी ही तो हूँ मैं
सबके बचपन की यादें मुझसे जुड़ी हैं
हर शख्श की जरूरतें मुझे हुई पूरी है
सबने पिरोई अपनी अपनी कड़ी है
पर अब लगता है पैदा हो गयी दूरी है
एक अलमारी ही तो हूँ मैं
फेंक दिया मुझको किसी कोने में
अब नहीं किसी को दिलचस्पी मेरे होने में
कपबोर्डस ने ले लिया मेरा स्थान
आती हूँ काम जानवरों के सोने में
एक अलमारी ही तो हूँ मैं
बड़े शौक से मुझको घर लाये थे
नया रंग भी मुझ पर पुतवाये थे
छोटे छोटे समान भी मुझ में समाये थे
बेच दिया मुझको मुझसे पैसे कमाये थे
एक अलमारी ही तो हूँ मैं
- गुफरान की कलम से
कभी सजाती थी साजो सामान
कभी बढ़ाती थी घर का मान
आती थी हर सदस्य को काम
अब हो गयी धूल मिट्टी मेरे नाम
एक अलमारी ही तो हूँ मैं
सबके बचपन की यादें मुझसे जुड़ी हैं
हर शख्श की जरूरतें मुझे हुई पूरी है
सबने पिरोई अपनी अपनी कड़ी है
पर अब लगता है पैदा हो गयी दूरी है
एक अलमारी ही तो हूँ मैं
फेंक दिया मुझको किसी कोने में
अब नहीं किसी को दिलचस्पी मेरे होने में
कपबोर्डस ने ले लिया मेरा स्थान
आती हूँ काम जानवरों के सोने में
एक अलमारी ही तो हूँ मैं
बड़े शौक से मुझको घर लाये थे
नया रंग भी मुझ पर पुतवाये थे
छोटे छोटे समान भी मुझ में समाये थे
बेच दिया मुझको मुझसे पैसे कमाये थे
एक अलमारी ही तो हूँ मैं
- गुफरान की कलम से
Bahut khoob 👏👏
ReplyDeleteBahut bahut Shukriya
DeleteGreat
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया😊🙏
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